हालाँकि, आम तौर पर ट्रेडिंग में हमेशा ही जोखिम होता है, लेकिन पोर्टफ़ोलियो प्रबंधन में ट्रेडर्स पर किसी खास ट्रेडिंग शैली या रणनीति का पालन करने के लिए दबाव नहीं डाला जाता।
पोर्टफ़ोलियो प्रबंधक (PM) उस तरीके से ट्रेड कर सकते हैं जो उन्हें सही लगता है; जोखिम प्रबंधन की हमेशा ही सलाह दी जाती है, क्योंकि उनके ट्रेडिंग प्रदर्शन को एक ट्रेडिंग विश्वसनीयता स्तर (TRL) दिया जाता है, जिस पर निवेशक गौर कर सकते हैं। इसके अलावा, PM को निम्नलिखित पर चीज़ों भी विचार करना चाहिए:
- बिलिंग अवधियाँ: किसी फ़ंड के प्रदर्शन की गणना करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अवधियाँ। इससे ट्रेडर्स को काम करने के लिए एक न बदली जा सकने वाली समय सीमा मिल सकती है।
- प्रदर्शन शुल्क का भुगतान: ट्रेडर्स को कमीशन वाले ये प्रोत्साहन सिर्फ़ बिलिंग अवधि के अंत में मिलते हैं, इसलिए भुगतान के शेड्यूल का पालन किया जाना चाहिए।
- मेट्रिक्स प्रबंधित करना: रिटर्न वह मेट्रिक है, जिसे कोई फ़ंड या रणनीति अपने निवेशकों को प्रस्तुत करती है; इससे यह पक्का होता है कि संभावित निवेशकों से यह जानकारी छिपाने का कोई विकल्प नहीं है।
- ड्रॉडाउन: संचित नुकसान, प्रदर्शन शुल्क को नुकसान पहुँचाते हैं, जिसकी वजह से कुल कमाई कम हो सकती है; दूसरे शब्दों में, नुकसान से पूँजी में बहुत ज़्यादा कमी आ सकती है।
- असामयिक निवेश: अगर कोई फ़ंड लाभप्रद भी हो, लेकिन कोई निवेशक उसमें देरी से निवेश करता है और उसे PM के बारबर लाभ नहीं मिलता, तो इससे निराशा हो सकती है।
इन सब बातों को ध्यान में रखने से आपके फ़ंड्स के लिए आपकी सामान्य ट्रेडिंग रणनीतियों के जोखिम को कम किया जा सकता है। निवेशकों के लिए, निवेश करने से पहले विचार करने योग्य अधिक उपयोगी डेटा के लिए हम किसी फ़ंड का पता लगाने से जुड़ा हमारा लेख पढ़ने की सलाह देते हैं।